छठ महापर्व, 28 अक्टूबर शुक्रवार को नहाय- खाय से व्रत की शुरुआत होगी, वही 29 अक्टूबर शुक्रवार को दूसरे दिन का व्रत खरना, 30 अक्टूबर रविवार को सूर्य षष्ठी व्रत (छठ डाला) तथा 31 अक्टूबर सोमवार को सूर्योदय के बाद व्रत का पारणा किया जाएगा, इसमें कुछ भी संशय नहीं है। पुराणों के मुताबिक राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद कीजिए पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र हुआ लेकिन वह मृत पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और उन्होंने कहा, "सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं राजन तू मेरी पूजा करो और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करो"। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी। एक मान्यता के अनुसार, लंका पर विजय पाने के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्य देव की पूजा की।सप्तमी को सूर्योदय के वक्त फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। यही परंपरा तब से अब तक चली आ रही है।
आध्यात्मिक गुरु श्री कमलापति त्रिपाठी ""प्रमोद”"